Cibil Score New Rule : डिजिटल युग में जहां एक तरफ वित्तीय लेन-देन आसान हो गया है, वहीं दूसरी तरफ आपकी वित्तीय साख को मापने के तरीके भी अधिक परिष्कृत हो गए हैं।
भारत में क्रेडिट स्कोरिंग सिस्टम का सबसे प्रमुख नाम CIBIL (Credit Information Bureau India Limited) है, जो लाखों भारतीयों की वित्तीय पहचान तय करता है।
हाल की अवधि में CIBIL स्कोर की गणना और मूल्यांकन के नियमों में कई महत्वपूर्ण बदलाव आए हैं, जिनका प्रभाव न केवल नए लोन लेने वालों पर बल्कि मौजूदा उधारकर्ताओं पर भी पड़ रहा है।
CIBIL स्कोर की बुनियादी समझ
CIBIL स्कोर 300 से 900 के बीच का एक तीन अंकों का नंबर है जो किसी व्यक्ति की क्रेडिट हिस्ट्री को दर्शाता है। 750 से ऊपर का स्कोर अच्छा माना जाता है, जबकि 600 से नीचे का स्कोर चिंताजनक होता है। यह स्कोर बैंकों और वित्तीय संस्थानों के लिए निर्णय लेने का प्रमुख आधार बनता है कि किसी व्यक्ति को लोन देना है या नहीं।
मुंबई के एक बैंक मैनेजर राहुल वर्मा बताते हैं, “पहले हम केवल salary slip और ITR देखकर loan approve करते थे। अब CIBIL score सबसे पहली चीज है जो हम check करते हैं। 750+ score वाले customer को instant approval मिल जाता है।”
नए नियमों के अनुसार, अब CIBIL स्कोर की गणना में कई नए फैक्टर्स शामिल किए गए हैं जो पहले इतने महत्वपूर्ण नहीं थे।
क्रेडिट कार्ड के उपयोग में बदलाव
सबसे महत्वपूर्ण बदलाव क्रेडिट कार्ड के उपयोग को लेकर आया है। पहले केवल payment history और credit utilization ratio देखा जाता था, अब कई अन्य factors भी महत्वपूर्ण हो गए हैं।
Credit Utilization Ratio: पहले 30% से कम utilization अच्छा माना जाता था, अब 10% से कम रखना बेहतर होता है। यानी अगर आपकी credit limit 1 लाख रुपये है तो महीने में 10,000 से ज्यादा use न करें।
दिल्ली की एक IT professional प्रिया शर्मा कहती हैं, “मुझे लगता था कि credit card का पूरा limit use करना ठीक है बशर्ते कि समय पर payment कर दूं। लेकिन जब मेरा score गिर गया तो पता चला कि utilization ratio भी important है।”
Credit Mix: अब केवल credit card ही नहीं बल्कि विभिन्न प्रकार के credit का होना भी फायदेमंद है। Personal loan, car loan, home loan का अच्छा mix आपके score को बेहतर बनाता है।
EMI Payment Pattern की बढ़ती महत्ता
नए नियमों के तहत आपका EMI payment pattern पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गया है। अब केवल on-time payment ही काफी नहीं है, बल्कि आपकी payment की consistency भी देखी जाती है।
चेन्नई के एक business owner अरुण कुमार बताते हैं, “मैं हमेशा EMI समय पर भरता था लेकिन कभी-कभी महीने के अंत में भरता था तो कभी शुरुआत में। अब पता चला कि consistent date पर payment करना भी score बढ़ाने में मदद करता है।”
Partial Payment का प्रभाव: अगर आप केवल minimum amount due pay करते हैं तो यह अब आपके score पर negative impact डालता है। Full payment करना जरूरी है।
लोन एप्लिकेशन की संख्या पर नियंत्रण
नए नियमों में Hard Inquiry (जब आप formally loan apply करते हैं) का प्रभाव बढ़ाया गया है। 6 महीने में 3 से अधिक loan applications आपके score को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
कोलकाता के एक chartered accountant सुब्रत घोष कहते हैं, “मेरे एक client ने अलग-अलग banks में home loan के लिए apply किया था best rate पाने के लिए। लेकिन इससे उसका CIBIL score गिर गया और finally loan ही reject हो गया।”
UPI और डिजिटल पेमेंट्स का प्रभाव
एक दिलचस्प बदलाव यह है कि अब UPI transactions और digital payment behavior भी धीरे-धीरे credit scoring में factor बनने लगे हैं। हालांकि यह अभी experimental stage में है, लेकिन future में यह महत्वपूर्ण हो सकता है।
बैंगलुरु के एक fintech startup में काम करने वाले विकास मेहता बताते हैं, “हम alternative data का use करके credit scoring कर रहे हैं। UPI transactions, mobile recharge patterns, utility bill payments – ये सब किसी person की financial stability बताते हैं।”
Joint Account और Guarantor के नियम
Joint accounts और guarantorship के नियम भी सख्त हो गए हैं। अब primary और secondary account holders दोनों के credit score पर equal impact पड़ता है।
लुधियाना के एक businessman गुरप्रीत सिंह कहते हैं, “मैंने अपने भाई के business loan की guarantee दी थी। जब उसने 2-3 EMI late की तो मेरा भी score गिर गया। अब सोच-समझकर guarantee देता हूं।”
सेटलमेंट और राइट-ऑफ के नए नियम
Loan settlement या write-off के मामलों में भी नए नियम आए हैं। पहले settlement के बाद 7 साल तक negative रिकॉर्ड रहता था, अब कुछ cases में यह period कम हो सकता है।
पुणे के एक recovery agent राजेश पाटील बताते हैं, “अब banks भी settlement के लिए flexible हो गए हैं क्योंकि customer को दोबारा credit देने में interest है। One Time Settlement (OTS) के rules भी बदले हैं।”
फ्रीक्वेंट चेकिंग का महत्व
नए नियमों के अनुसार अब खुद अपना CIBIL score check करना beneficial होता है। पहले लगता था कि frequent checking से score गिरता है, लेकिन self-inquiry का कोई negative impact नहीं होता।
अहमदाबाद की एक teacher सुनीता पटेल कहती हैं, “मैं हर महीने अपना score check करती हूं। इससे पता चल जाता है कि कोई गलत information तो नहीं है। एक बार मेरे नाम का कोई गलत entry था जो dispute करके हटवाना पड़ा।”
एरर करेक्शन की तेज प्रक्रिया
CIBIL ने अपनी dispute resolution process को भी तेज बनाया है। अब genuine errors 30 दिन के अंदर correct हो जाते हैं, पहले यह 2-3 महीने का process था।
जयपुर के एक advocate मनोज अग्रवाल बताते हैं, “मेरे clients के CIBIL disputes अब जल्दी resolve हो जाते हैं। Online process बहुत smooth है। Documentation clear होना चाहिए।”
क्रेडिट हिस्ट्री की लेंथ का महत्व
Credit history की length अब पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गई है। कम से कम 2-3 साल की consistent credit history होना जरूरी है good score के लिए।
नागपुर के एक fresh graduate आदित्य कुमार कहते हैं, “College में पता नहीं था कि credit history भी build करनी पड़ती है। Job लगने के बाद जब loan लेने गया तो पता चला कि मेरा कोई credit history ही नहीं है।”
स्मॉल टिकट लोन्स का बढ़ता महत्व
छोटे loans जैसे कि mobile phone EMI, electronics purchase भी अब credit history में count होते हैं। यह खासकर young professionals के लिए credit history build करने का अच्छा तरीका है।
हैदराबाद के एक MBA student रोहित राव बताते हैं, “मैंने phone का EMI लिया था credit history build करने के लिए। 6 महीने में regularly EMI भरने से मेरा score 100 points बढ़ गया।”
इंश्योरेंस प्रीमियम पर प्रभाव
अब कुछ insurance companies भी credit score देखकर premium तय करने लगी हैं। अच्छा credit score होने पर कम premium मिल सकता है।
दिल्ली के एक insurance agent सोनू कुमार कहते हैं, “अब हम customer से CIBIL score भी पूछते हैं। Good score वालों को better rates offer कर सकते हैं। यह trend बढ़ने वाला है।”
बिजनेस लोन पर विशेष प्रभाव
Business loans के लिए अब owner का personal CIBIL score भी उतना ही important है जितना business credit score। यह नियम खासकर MSMEs को प्रभावित करता है।
इंदौर के एक small manufacturer विनोद गुप्ता बताते हैं, “Business loan के लिए मुझसे personal guarantee के साथ-साथ मेरा CIBIL score भी मांगा गया। Business अच्छा चल रहा है लेकिन personal score कम होने से problem हुई।”
कोविड इम्पैक्ट और रिलीफ मेजर्स
कोविड काल में जो moratorium दिया गया था उसका impact भी अब CIBIL scoring में consider किया जाता है। सही तरीके से moratorium लेने वालों के score पर ज्यादा negative impact नहीं हुआ।
मुंबई के एक restaurant owner राजू सिंह कहते हैं, “कोविड में business बंद हो गया था। Moratorium लिया था properly। अब जब business restart किया तो कोई major issue नहीं हुई loan लेने में।”
सिक्योरिटी डिपॉजिट्स और FD अगेंस्ट लोन
FD against loan लेने से भी अब credit history बनती है। यह उन लोगों के लिए अच्छा option है जिनकी कोई credit history नहीं है।
चंडीगढ़ के एक government employee प्रदीप शर्मा बताते हैं, “मेरी बेटी के लिए FD against loan लिया था। Regular payment से उसकी भी credit history बन गई। अब उसे आसानी से credit card मिल गया।”
फ्यूचर ट्रेंड्स और टेक्नोलॉजी
AI और Machine Learning के use से credit scoring और भी accurate हो रही है। अब social media data, smartphone usage pattern भी factor बनने लगे हैं।
बैंगलुरु के एक data scientist अनिल कुमार कहते हैं, “हम alternative data sources का use करके better credit models बना रहे हैं। Traditional banking से जो लोग बाहर हैं उन्हें भी credit system में लाने की कोशिश है।”
सलाह और सुझाव
नए नियमों के तहत CIBIL score maintain करने के लिए कुछ important tips:
Credit utilization 10% से कम रखें
हर महीने अपना score check करें
Multiple loan applications से बचें
Payment dates consistent रखें
Joint accounts carefully handle करें
Credit mix maintain करें
Old credit cards को बंद न करें
Cibil Score New Rule : सावधानी और समझदारी की जरूरत
CIBIL score के नए नियम निश्चित रूप से credit system को अधिक refined और accurate बना रहे हैं। लेकिन इसके साथ ही consumers की जिम्मेदारी भी बढ़ गई है कि वे अपनी financial behavior को लेकर अधिक सचेत रहें।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अब credit score केवल loan लेने के time ही नहीं बल्कि रोजमर्रा की financial decisions में भी important factor बन गया है। Insurance premium से लेकर job applications तक में इसका role बढ़ रहा है।
भविष्य में digital payment patterns, social behavior, और अन्य alternative data sources का use और भी बढ़ेगा। इसलिए जरूरी है कि हम अपनी overall financial discipline maintain करें, केवल loan repayment तक सीमित न रहें।
नए नियमों का फायदा यह है कि अब credit deserving लोगों को आसानी से और बेहतर rates पर credit मिल सकता है। लेकिन साथ ही यह भी जरूरी है कि हम अपनी financial planning को लेकर अधिक strategic और disciplined approach अपनाएं।
Credit score अब सिर्फ एक number नहीं रहा, यह आपकी financial personality का reflection है। इसे अच्छा बनाए रखना आज के समय में financial literacy का एक अहम हिस्सा है।